Dr. Manmohan Singh : The Legend

 

September 26, 1932 - December 26, 2024

मनमोहन सिंह, जो 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे, ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने में था।

1991 में वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने भारत के आर्थिक उदारीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए। उन्होंने व्यापारिक बाधाओं को कम किया, विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया और लाइसेंस राज को समाप्त करने की दिशा में काम किया।

उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजीकरण और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का समर्थन किया, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ।

सिंह की अगुवाई में भारत ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिला और भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ।

प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में भारत ने 8-9% तक की उच्च आर्थिक वृद्धि दर दर्ज की, जो वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद बनी रही। यह वृद्धि घरेलू खपत, विदेशी निवेश और बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण थी।

उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति सुधारने पर जोर दिया, जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA), जो ग्रामीण परिवारों को रोजगार प्रदान करने और गरीबी कम करने के उद्देश्य से लाया गया।

उनकी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट बढ़ाया, खासकर हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए।

मनमोहन सिंह की सरकार ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को बढ़ावा दिया और भारत को वैश्विक आर्थिक प्रणाली में एकीकृत किया। इसने खुदरा, बीमा और विमानन जैसे क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित किया।

सिंह की सरकार ने बुनियादी ढांचे, जैसे सड़कें, ऊर्जा और संचार के क्षेत्र में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया, जो आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए आवश्यक थे।जब 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट आया, तो सिंह की सरकार ने प्रभावी कदम उठाए। उन्होंने प्रोत्साहन पैकेज, मौद्रिक नीति में लचीलापन और राजकोषीय नीति लागू करके भारत की अर्थव्यवस्था को संकट से बचाया।

मनमोहन सिंह का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए स्थिरता, वैश्वीकरण और समावेशी विकास का दौर था, और इसके लंबे समय तक प्रभाव रहे हैं। उन्हें भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए श्रेय दिया जाता है।

सारांश में, मनमोहन सिंह का भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधारों के वास्तुकार के रूप में योगदान और उनकी कोशिशें भारत के तेज़ी से बढ़ते विकास और वैश्वीकरण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।




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